Ayodhya : History of Sriram's Birth Place
अयोध्या: श्रीराम की नगरी का इतिहास
अयोध्या — यह केवल एक नगर नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और भक्ति की धरोहर है। यह वह भूमि है जहाँ भगवान श्रीराम का जन्म हुआ, जहाँ मर्यादा, नीति और आदर्शों की नींव रखी गई। प्राचीन ग्रंथों में इसे "अयोध्या नगरीम् अतीव रमणीम्" कहा गया है — एक ऐसी नगरी जिसे कोई युद्ध (युद्ध = युध, "अ" = न) जीत नहीं सकता।
इस लेख में हम अयोध्या के पौराणिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को प्रामाणिक ग्रंथों के माध्यम से समझेंगे।
अयोध्या का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में :
वाल्मीकि रामायण (बालकांड, सर्ग 5) में अयोध्या का विस्तृत वर्णन मिलता है:
"अयोध्या नाम नगरी तत्रासीव लोकविश्रुता।
मनुना मानवेन्द्रेण या पुरी निर्मिता स्वयम्॥"
यह नगरी स्वयं स्वायंभुव मनु द्वारा निर्मित मानी जाती है, जो ब्रह्मा के मानस पुत्र थे। यह नगरी सप्तपुरी में से एक है — यानी वे सात नगर जहाँ मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार:
- अयोध्या सरयू नदी के तट पर स्थित थी।
- इसकी लम्बाई 12 योजन और चौड़ाई 3 योजन थी (1 योजन = लगभग 12-15 किमी)।
- यहाँ विशाल महल, सुंदर बाग-बगिचे, विद्वानों और योद्धाओं की बस्ती थी।
- इक्ष्वाकु वंश की राजधानी थी — वही वंश जिसमें श्रीराम का जन्म हुआ।
रामचरितमानस में अयोध्या की महिमा :
तुलसीदासजी ने रामचरितमानस के बालकाण्ड में अयोध्या का सुंदर चित्र प्रस्तुत किया है:
"सारद सेष सराहत सोई। जो अयोध्या पुर नगरी होई॥"
(रामचरितमानस, बालकाण्ड)
अयोध्या को धरती पर स्वर्ग के समान बताया गया है, जहाँ धर्म, सत्संग, विद्या, और भक्ति का वास है। भगवान राम के जन्म से पहले भी यह नगरी अत्यंत पुण्य और शक्तिशाली मानी जाती थी।
भागवत पुराण में अयोध्या :
श्रीमद्भागवत महापुराण (स्कंध 9) में श्रीराम की कथा वर्णित है। इसमें अयोध्या को इक्षाकु वंश की राजधानी और धर्म की भूमि कहा गया है।
"रामो नाम हरिः पूर्वं रघुनाथो यदाव्रजत्।
अयोध्यायां महापुरीं स भगवान् ददर्श ह॥"
(भागवत, 9.10.1)
यहां स्पष्ट कहा गया है कि श्रीहरि विष्णु ने जब श्रीराम रूप में अवतार लिया, तो उन्होंने अयोध्या नगरी में जन्म लिया — जो महान, समृद्ध और धर्मपरायण नगरी थी।
इतिहास की दृष्टि से अयोध्या :
पौराणिक प्रमाणों के अलावा, अयोध्या का उल्लेख कई बौद्ध, जैन और ऐतिहासिक ग्रंथों में भी मिलता है:
- बौद्ध साहित्य में इसे "साकेत" कहा गया है।
- जैन परंपरा में भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) का जन्म भी अयोध्या में ही बताया गया है।
- महाजनपद काल में यह कोशल महाजनपद की राजधानी रही है।
- चीनी यात्री फाह्यान और ह्वेनसांग ने भी 5वीं और 7वीं शताब्दी में अयोध्या का भ्रमण किया और इसकी संस्कृति की प्रशंसा की।
अयोध्या: श्रीराम की जन्मभूमि :
रामायण और रामचरितमानस, दोनों में बताया गया है कि राजा दशरथ के चार पुत्रों का जन्म राजमहल में स्थित विशेष कक्ष में हुआ। यही स्थान आगे चलकर राम जन्मभूमि के नाम से जाना गया।
इतिहासकारों के अनुसार :
- मुग़ल काल में यहाँ विवाद प्रारंभ हुआ।
- 16वीं शताब्दी में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने यहाँ एक मस्जिद का निर्माण करवाया, जिसे बाद में "बाबरी मस्जिद" कहा गया।
- 20वीं शताब्दी में यह स्थान धार्मिक और राजनीतिक विवाद का केंद्र बना।
- अंततः 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को वैध माना गया।
अयोध्या राम मंदिर: युगों की प्रतीक्षा का फल
- 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास किया — यह दिन सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बन गया।
- वर्तमान में बना हुआ भव्य मंदिर:
- नागर शैली में निर्मित किया गया है।
- कुल क्षेत्रफल: 2.7 एकड़
- गर्भगृह में भगवान श्रीरामलला की मूर्ति स्थापित की गई है।
- मंदिर निर्माण जनभागीदारी का एक अनूठा उदाहरण है।
अयोध्या का सांस्कृतिक योगदान
- रामलीला की परंपरा – अयोध्या से शुरू होकर आज देश-विदेश तक फैल चुकी है।
- सरयू आरती – सरयू नदी पर प्रतिदिन होने वाली आरती गंगा आरती के समान पावन मानी जाती है।
- दीपोत्सव – हर वर्ष दिवाली के अवसर पर अयोध्या में लाखों दीप जलाकर श्रीराम के अयोध्या आगमन का स्वागत किया जाता है।
- हनुमानगढ़ी, कनक भवन, दशरथ महल – यहां के प्रमुख दर्शनीय और पूज्य स्थल हैं।
अयोध्या – केवल एक शहर नहीं, एक जीवंत चेतना :
अयोध्या केवल श्रीराम का जन्मस्थान नहीं, बल्कि संस्कृति, धर्म, सहिष्णुता, त्याग और मर्यादा का प्रतीक है। यह वह भूमि है जहाँ ईश्वर ने अवतार लेकर मनुष्यों को बताया कि कैसा होना चाहिए जीवन, और कैसा होना चाहिए शासन।
"राम सिया रघुकुल जस गावे। अयोध्या धाम स्वर्ग सों पावे॥"
(रामचरितमानस)
संदर्भ ग्रंथ:
- वाल्मीकि रामायण – गोपाल शर्मा संस्करण
- रामचरितमानस – गीता प्रेस, गोरखपुर
- भागवत पुराण – स्कंध 9, अध्याय 10
- भारतीय इतिहास कोश, डॉ. रमेश चंद्र
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