UGC Chairman Prof. M. Jagdesh Kumar retired

 UGC Chairman Prof. M. Jagdesh Kumar retired

UGC Chairman Prof. M. Jagdesh Kumar retired


भारत के उच्च शिक्षा जगत में एक महत्वपूर्ण युग का समापन हुआ है। प्रो. ममिदाला जगदेश कुमार, जिन्होंने फरवरी 2022 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के चेयरमैन का पदभार संभाला था, अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनके कार्यकाल को नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 को जमीन पर उतारने के प्रयासों, शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने और विदेशी डिग्री की मान्यता प्रक्रिया को सरल बनाने जैसे कई बड़े सुधारों के लिए याद किया जाएगा।

कार्यकाल की शुरुआत और प्राथमिकताएँ :

प्रो. कुमार ने अपना कार्यभार ऐसे समय में संभाला जब भारत में उच्च शिक्षा एक नए बदलाव की ओर अग्रसर थी। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को कार्यान्वित करने के लिए कई पहलें कीं। उनका मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा को समावेशी, बहु-विषयी (multidisciplinary) और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना था।

प्रमुख पहल: विदेशी डिग्री की मान्यता को आसान बनाना

उनके नेतृत्व में यूजीसी ने विदेशी शैक्षणिक योग्यताओं की मान्यता (Recognition and Grant of Equivalence to Qualifications Obtained from Foreign Educational Institutions) की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नई गाइडलाइन्स लागू कीं। यह निर्णय उन लाखों छात्रों के लिए फायदेमंद रहा जो विदेशों से पढ़ाई कर भारत लौटते हैं और यहां उच्च शिक्षा या नौकरी के लिए आवेदन करते हैं।

यूजीसी-केयर लिस्ट का अंत: एक विवादास्पद लेकिन साहसी फैसला

प्रो. कुमार के कार्यकाल के सबसे चर्चित निर्णयों में से एक रहा UGC-CARE List को हटाना। यह सूची एक गुणवत्ता-आधारित जर्नल सूची थी, जिसे 2018 में शुरू किया गया था। अब इसकी जगह पर एक नई प्रणाली लागू की गई है जो प्रकाशनों को गुणवत्ता मानकों के आधार पर आंकती है, जिससे शोध और प्रकाशन को नई दिशा मिली है।

यह बदलाव शोधकर्ताओं के लिए चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन इसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले शोध को प्रोत्साहित करना है।

नई सोच, नया दृष्टिकोण

एक कार्यक्रम में बोलते हुए प्रो. कुमार ने कहा था:

“छात्रों को स्वतंत्र रूप से सोचने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्हें शिक्षा की पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकलकर नए विचारों और दृष्टिकोणों को अपनाना चाहिए।”

यह बात उनके दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है — एक ऐसी शिक्षा प्रणाली जहां रचनात्मकता, नवाचार और स्वतंत्र सोच को बढ़ावा दिया जाए।

उनके कार्यकाल के अन्य प्रमुख सुधार :

1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) का क्रियान्वयन

उन्होंने NEP 2020 के सिद्धांतों को ज़मीन पर उतारने के लिए कई ठोस कदम उठाए।

विश्वविद्यालयों में बहु-विषयक शिक्षा, क्रेडिट आधारित पाठ्यक्रम, और लचीलापन को बढ़ावा दिया।

2. UGC और AICTE के समन्वय की दिशा में पहल

उच्च शिक्षा के लिए नियामक ढांचे को सरल और एकीकृत बनाने की दिशा में UGC, AICTE और अन्य निकायों के बीच समन्वय बढ़ाने की पहल की।

3. विदेशी डिग्रियों की मान्यता में सुधार

विदेशों से प्राप्त शैक्षणिक योग्यताओं की मान्यता की प्रक्रिया को आसान, पारदर्शी और त्वरित बनाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए।

4. डिजिटल यूनिवर्सिटी की नींव रखी

उन्होंने डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए Digital University के विचार को समर्थन दिया, जिससे शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाया जा सके।

5. रिसर्च और जर्नल पब्लिकेशन में सुधार

UGC-CARE List को हटाकर एक नई गुणवत्ता-आधारित प्रणाली लागू की गई, जिससे केवल उच्च गुणवत्ता वाले शोध कार्यों को मान्यता मिले।

6. Multidisciplinary शिक्षा को बढ़ावा

उन्होंने छात्रों को एक ही डिग्री कार्यक्रम में विज्ञान, मानविकी, और सामाजिक विज्ञान जैसे विविध विषयों का चुनाव करने की स्वतंत्रता दी।

7. Academic Bank of Credits (ABC) का विस्तार

इस डिजिटल फ्रेमवर्क को लोकप्रिय बनाकर छात्रों को क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा प्रदान की गई, जिससे लचीलापन और छात्र-हित दोनों सुनिश्चित हुए।

8. भारतीय विश्वविद्यालयों की वैश्विक रैंकिंग में सुधार पर ध्यान

उन्होंने विश्वविद्यालयों को रिसर्च, नवाचार और इंडस्ट्री लिंक के ज़रिए ग्लोबल रैंकिंग सुधारने के लिए प्रेरित किया।

भविष्य के लिए प्रेरणा

प्रो. जगदेश कुमार ने अपने कार्यकाल में दिखा दिया कि शिक्षा केवल डिग्रियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह छात्रों को वैश्विक नागरिक बनाने का माध्यम होनी चाहिए। उनकी दूरदृष्टि ने भारत की उच्च शिक्षा को आधुनिकता, गुणवत्ता और समावेशन की ओर अग्रसर किया।

निष्कर्ष

यूजीसी के चेयरमैन के रूप में प्रो. ममिदाला जगदेश कुमार का कार्यकाल सुधारों, नीतिगत स्पष्टता और दूरदर्शी नेतृत्व का प्रतीक रहा है। उनके योगदानों ने भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीला, प्रगतिशील और ग्लोबली रिलेवेंट बनाने की दिशा में मजबूत आधार तैयार किया है।

उनकी सेवानिवृत्ति के साथ एक युग का अंत हुआ है, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य आने वाले वर्षों में भी देश की शिक्षा नीति को दिशा देते रहेंगे।

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